सबसे तेज खबर/बद्दी

एशिया के फार्मा हब हिमाचल जो मिनी भारत के नाम से भी जाना जाता है समेत देशभर में दवा निर्माण से जुड़ी हजारों इकाइयां बंद होने के कगार पर हैं। केंद्र सरकार द्वारा तय की गई गुड मैन्युफेक्चरिंग प्रैक्टिसेज (जीएमपी) की नई गाइडलाइंस के तहत मई 2025 तक सभी फार्मा कंपनियों को अपग्रेडेशन प्लान जमा करवाना था। डेडलाइन खत्म हो चुकी है, लेकिन पूरे देश की करीब 6000 यूनिट्स में से केवल 1700 ही यह जरूरी औपचारिकता समय पर पूरी कर पाई हैं। अब बाकी हजारों कंपनियां सीधी सरकारी कार्रवाई की जद में है, जिसमें जोखिम आधारित निरीक्षण, उत्पादन बंदी और लाइसेंस रद्द होने तक कर कार्रवाई शामिल है। इस राष्ट्रीय संकट का सबसे तीखा असर हिमाचल प्रदेश की फार्मा बेल्ट पर पडऩे जा रहा है, जहां राज्य की 655 फार्मा इकाइयों में से केवल 125 ने ही तय समय तक अपग्रेडेशन प्लान सौंपा है।

यानी 530 यूनिट्स अब कार्रवाई के सीधे राडार पर हैं। इनमें से अधिकांश फार्मा यूनिट्स बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ के औद्योगिक इलाकों में स्थित हैं। जिन इकाइयों का टर्नओवर 250 करोड़ रुपए से कम है, उन्हें पहले ही एक साल की मोहलत दी जा चुकी थी, लेकिन अब केंद्र सरकार किसी तरह की ढील के मूड में नहीं दिख रही। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार कठोर कदम उठाती है, तो अगले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में फार्मा इकाइयां बंद हो सकती हैं। इससे हजारों लोगों की नौकरियां जाएंगी और कुछ विशेष दवाओं जैसे कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की आपूर्ति पर गहरा असर पड़ सकता है। फार्मा उद्यमियों ने कहा की शेड्यूल एम के तहत आवश्य काम किया जा रहा है।


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